Friday, October 19, 2007

ग्लोबल वार्मिंग से खुलता किस्मत का ताला

ग्लोबल वार्मिंग से इधर की दुनिया परेशान है तो ग्रीनलैंड के लोग खुश हैं कि दुख भरे दिन बीते रे भैया। तापमान बढ़ा तो बर्फ पिघलने लगी। बर्फ पिघली तो जमीन निकली। जमीन में मिले हीरे। फिर पता चला कि तेल और धातुएं भी यहां के गर्भ में हैं। दुनिया के दादा वहां पहुंचा और शुरू कर दी खोज-पड़ताल। 56000 की आबादी वाले इस द्वीप का आकार यूरोप के बराबर है और डेनमार्क की कालोनी है। सत्तर-अस्सी के दशक में यहां के लोगों ने डेनमार्क से लड़कर स्वायत्त शासन लागू करवा लिया था लेकिन हर तरह की निर्भरता होने की वजह से आजादी की बात कभी नहीं की। लेकिन अब उनको लग रहा है कि बर्फ न सिर्फ द्वीप में पिघल रही है बल्कि उनकी किस्मत पर जमी बर्फ भी साफ हो रही है। समृद्धि की खदानें 56000 लोगों के लिए हर जरूरत पूरी करने वाली लग रही हैं लिहाजा वहां की सरकार ने अब डेन से आजादी की बात शुरू कर दी है। ग्लोबल वार्मिंग भले ही हमारे लिए विनाश की सूचक हो लेकिन ग्रीनलैंडर्स के लिए तो नए कल की घंटी है।

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